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लेखनी कहानी -17-Oct-2022 नव संवतसर व हिन्दू नव वर्ष(भाग 14 )


       शीर्षक :- नव संवतसर
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     भारतवर्ष त्योहिरौ का देश है। यहाँ पर हर रोज ही कोई न कोई त्योहार  मनाया जाता है नव संवतसर का त्योहिर भी धूमधाम से मनाया जाता  हो।

      जब होली के बाद नयी फसल के आगमन की प्रतीक्षा होती है । उसी समय हमारे देश मे नया वर्ष शुरू होता है। इसको ही नव संवतसर के नाम से जाना जाता है।ँ

           इसी दिन से दुर्गा माँ की नौ दिन की पूजा होती है

          भारतीय नववर्ष की शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होती है. ब्रह्म पुराण में मान्‍यता है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्टि बनी. इसलिए यही वो दिन है जब से भारत वर्ष की काल गणना की जाती है ।हेमाद्रि के ब्रह्म पुराण के अनुसार, ब्रह्मा जी ने पृथ्वी की रचना चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन की थी. इसीलिए पंचांग के अनुसार हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नववर्ष शुरू हो जाता है 13 अप्रैल को बैशाखी का त्योहार भी मनाया जाता है।
 

                   हिन्दू नव वर्ष व    नव संवत्सर के इतिहास की बात करें तो इसकी शुरुआत  महाराज विक्रमादित्य ने की थी। हिन्दू धर्म में चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को नवसंवत की शुरुआत होती है। इसे भारतीय नववर्ष भी कहा जाता ह।. इसका आरम्भ विक्रमादित्य ने किया था, इसलिए इसे विक्रम संवत भी कहा जाता है। जानें- क्या होता है विक्रम संवत, इसकी शुरुआत और दूसरे कैलेंडर से क‍ितना अलग है।


          शक संवत को सरकारी रूप से अपनाने के पीछे ये वजह दी जाती है कि प्राचीन लेखों, शिला लेखों में इसका वर्णन देखा गया है. इसके अलावा यह संवत विक्रम संवत के बाद शुरू हुआ. अंग्रेजी कैलेंडर से ये 78 वर्ष पीछे है, 2021 - 78 = 1943 इस प्रकार अभी 1943 शक संवत चल रहा है.

                       हमारे वेदौ मे यह भी    कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने इसकी शुरुआत की थी. उनके समय में सबसे बड़े खगोल शास्त्री वराहमिहिर थे. जिनके सहायता से इस संवत के प्रसार में मदद मिली. ये अंग्रेजी कैलेंडर से 57 वर्ष आगे है, 2021 + 57 = 2078 विक्रम संवत चल रहा है। इसीलिए हमारे देश का संवत अंग्रेजी वर्ष से 57 वर्ष पूर्व आरम्भ हुआ था।

             इसमें इस्लामी कैलेंडर के अनुसार हिजरी संवत को छोड़ कर सभी कैलेंडर में जनवरी या फरवरी में नये साल का अगाज होता है। भारत में कई कैलेंडर प्रचलित हैं जिनमें विक्रम संवत और शक संवत प्रमुख है।

       समय की गणना करने का इतिहास   भारत का सबसे प्राचीन है। पूरी दुनिया में काल गणना का दो ही आधार है। सौर चक्र और चंद्र चक्र. सौर चक्र के अनुसार पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा करने में 365 दिन और लगभग छह घंटे लगते हैं।ध इस तरह गणना की जाए तो सौर वर्ष पर आधारित कैलेंडर में साल में 365 दिन होते हैं जबकि चंद्र वर्ष पर आधारित कैलेंडरों में साल में 354 दिन होते है।

         इस प्रकार नव वर्ष व नव संवतसर का यह पर्व  बहुत ही श्रद्धा से मनाते है। हमारे देश में जगह जगह दुर्गा देवी का जागरण भी करवाया जाता है । नौ दिन तक दुर्गा माँ की पूजा करते है नवमी के दिन कन्याऔ का पूजन करके उनको खाना खिलाया जाता है।

   30 Days /Festival  Competition हेतु रचना ।

   नरेश शर्मा " पचौरी "

 30/10/2022

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5 Comments

Gunjan Kamal

06-Nov-2022 02:36 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Mahendra Bhatt

04-Nov-2022 03:02 PM

बहुत खूब

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Palak chopra

03-Nov-2022 03:25 PM

Shandar 🌸

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